"I Dont Love him"
"I Dont Love Him"
I told myself TRILLIONS of times..
On BILLION different occasions..
MILLIONS of times..
But no one believes me..niether does my heart..nor my brains..
"I Dont Love Him"
I told myself TRILLIONS of times..
On BILLION different occasions..
MILLIONS of times..
But no one believes me..niether does my heart..nor my brains..
कहते हैं किसी बात को हज़ार बार याद करो, तो उसपे विशवास होने लगता है।
अब जब खुद को विशवास नहीं दिला पा रही तो दूसरो को कैसे दिलाऊं?
ज़िन्दगी भी अजीब खेल खेल गयी।
ज़िन्दगी भी अजीब खेल खेल गयी।
Tell me o khuda..ab mai kya karu....
No comments:
Post a Comment